लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय
(History of Lal Bahadur Shastri in Hindi)
नमस्कार दोस्तों ! आज की इस पोस्ट में हम आपको लाल बहादुर शास्त्री के जीवन परिचय के बारे में बताने वाले है | वैसे तो लाल बहादुर शास्त्री को हम सब जानते है पर उनके जीवन की ऐसी भी कुछ बाते है जिन्हे हम लोग नहीं जानते | आज हम आपको वो सारी चीज़े बताएँगे | तो चलिए शुरू करते है|
- लाल बहादुर शास्त्री जीवन परिचय, निबंध व इतिहास, जन्म, मृत्यु, जाति, विचार (Lal Bahadur Shastri biography, essay,birth and death history in hindi)
- लाल बहादुर शास्त्री का आरंभिक जीवन (Lal Bahadur Shastri early life) –
- आपके लिए एक महत्वपूर्ण पुस्तक
- लाल बहादुर शास्त्री एक जवान सत्याग्रही (Lal Bahadur Shastri in freedom struggle) –
- लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्र भारत के नेता (Lal Bahadur Shastri political career) –
- लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु कैसे हुई ?
लाल बहादुर शास्त्री जीवन परिचय, निबंध व इतिहास, जन्म, मृत्यु, जाति, विचार (Lal Bahadur Shastri biography, essay,birth and death history in hindi)
लाल बहादुर
शास्त्री जी भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे | कार्यकाल के दौरान ही जवाहरलाल नेहरु जी की मृत्यु हो जाने
के कारण 9 जून 1964 में लाल बहादुर शास्त्री जी को प्रधानमंत्री पद
पर मनोनित किया गया था | लाल बहादुर
शास्त्री जी स्थान तो द्वितीय था, परन्तु इनका शासन
‘अद्वितीय’ रहा है | इस सादगीपूर्ण एवम विनर्म व्यक्ति को 1966 में भारत देश के सबसे बड़े सम्मान ‘भारत-रत्न’ से सम्मानित किया गया | लाल बहादुर शास्त्री जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे और वे
गाँधी जी व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के चिन्हों पर चलते थे | लाल बहादुर शास्त्री जी ने 1965 की भारत-पाकिस्तान की लड़ाई के समय सम्पूर्ण
भारत देश को संभाले रखा, और भारतीय सेना
को सही निर्देशन भी दिया |
लाल बहादुर शास्त्री का आरंभिक जीवन (Lal Bahadur Shastri early life) –
जीवन परिचय बिंदु | जीवन परिचय |
पूरा नाम | लाल बहादुर शास्त्री |
जन्म | 2 अक्टूबर 1904 |
जन्म स्थान | वाराणसी, उत्तरप्रदेश |
माता पिता | राम दुलारी मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव |
मृत्यु | 11 जनवरी 1966 |
पत्नी | ललिता देवी |
बच्चे | 4 लड़के, 2 लड़कियां |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
धर्म | हिन्दू |
जाति | श्रीवास्तव |
लाल बहादुर
शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में मुगलसराय (वाराणसी, उत्तरप्रदेश) में हुआ था | इनके पिताजी का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था,
इनके पिताजी प्राथमिक शाला के शिक्षक थे और
इन्हें ‘मुंशी जी’ कहकर पुकारा जाता था | इनकी माताजी का नाम राम दुलारी था | लाल बहादुर शास्त्री जी को बचपन में उनके परिवार के सदस्य ‘नन्हे’ कहकर पुकारते थे | बचपन में ही लाल
बहादुर शास्त्री जी के पिताजी का स्वर्गवास हो गया था | इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री जी की माता शास्त्री जी को
लेकर अपने पिता हजारी लाल जी के घर मिर्जापुर चली गयी थी | कुछ दिनों बाद ही इनके नानाजी का भी स्वर्गवास हो गया |
शास्त्री जी की
प्राथमिक शिक्षा मिर्ज़ापुर में ही सम्पन हुई थी और आगे की पढाई हरिश्चन्द्र हाई
स्कूल और काशी-विद्यापीठ में पूरी हुई | लाल बहादुर शास्त्री जी ने संस्कृत भाषा में स्नातक किया था | काशी-विद्यापीठ में लाल बहादुर शास्त्री जी ने ‘शास्त्री’ की उपाधि प्राप्त की थी | इसके बाद से ही इन्होने ‘शास्त्री’ को अपने नाम के
साथ ही जोड़ लिया था | इनका विवाह 1928
में श्रीमती ललिता शास्त्री के साथ संपन्न हुआ
था |
आपके लिए एक महत्वपूर्ण पुस्तक
लाल बहादुर शास्त्री एक जवान सत्याग्रही (Lal Bahadur Shastri in freedom struggle) –
भारत की
स्वतन्त्रता की लड़ाई में लाल बहादुर शास्त्री जी ने ‘मरो नहीं मारो’ का नारा दिया, जिसने पुरे भारत
देश में स्वतन्त्रता की क्रांति को और तेज कर दिया था | 1920 में लाल बहादुर शास्त्री जी आजादी की लड़ाई में
कूद गए और ‘भारत सेवक संघ’ की सेवा में जुड़ गये | लाल बहादुर शास्त्री जी एक ‘गाँधी-वादी’ नेता थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश और गरीबो की सेवा
में लगा दिया था | लाल बहादुर
शास्त्री जी भारत के सभी आंदोलनों और कार्यक्रमो में हिस्सा लिया करते थे, जिसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था |
लाल बहादुर शास्त्री जी ने सक्रिय रूप से 1921
में ‘अहसयोग-आन्दोलन’, 1930 में ‘दांडी-यात्रा’, और 1942 में भारत छोडो
आन्दोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी |
द्वितीय विश्व
युद्ध के समय भारत में आजादी की लड़ाई को भी और तीव्र कर दिया गया | नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने भी ‘आजाद हिन्द फ़ौज’ का गठन कर उसे “दिल्ली-चलो” का नारा दिया था
और इसी वक्त 8 अगस्त 1942 में महात्मा गाँधी के ‘भारत-छोडो आन्दोलन’ ने गति पकड़ ली थी | इसी समय लाल
बहादुर शास्त्री जी ने भारतीय नागरिको को जगाने के लिए “करो या मरो” का नारा दिया था,
लेकिन 9 अगस्त 1942 को लाल बहादुर
शास्त्री जी ने इलाहबाद में इस नारे में थोड़ा परिवर्तन करके इसे “मरो नहीं मारो” करके भारतीय नागरिको का आव्हान किया |
लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्र भारत के नेता (Lal Bahadur Shastri political career) –
स्वतंत्र भारत
में लाल बहादुर शास्त्री जी उत्तर प्रदेश की संसद के सचिव नियुक्त किये गये थे |
गोविन्द वल्लभ पन्त जी के मंत्रीमंडल में
इन्हें पुलिस और परिवहन का कार्यभार दिया गया था | इस दौरान लाल बहादुर शास्त्री जी ने पहली महिला को बस
कंडक्टर नियुक्त किया था और पुलिस विभाग में लाल बहादुर शास्त्री जी ने लाठी के
बजाय पानी की बौछार से भीड़ को काबू में करने का नियम बनाया | 1951 में लाल बहादुर शास्त्री जी को ‘अखिल-भारतीय-राष्ट्रिय-काँग्रेस’ का महा-सचिव बनाया गया था |
लाल बहादुर
शास्त्री जी की कुशलता को देखते हुए, इन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की अचानक मौत के बाद प्रधानमन्त्री पद पर
नियुक्त किया गया, लेकिन इनका
कार्यकाल बहुत कठिन था | धनि देश और
शत्रु-देश ने इनका कार्यकाल बहुत ही चुनोतिपूर्ण बना दिया था | अचानक ही 1965 में शाम 7.30 बजे पकिस्तान ने भारत पर हवाई हमला कर दिया था | इस परिस्थिती में भारत के राष्ट्रपति श्री सर्वपल्ली राधा
कृष्णन ने बैठक बुलवाई थी | इस बैठक में तीनो
रक्षा विभाग के अध्यक्ष और शास्त्री जी सम्मिलित हुए थे | विचार-विमर्श के दौरान अध्यक्षों ने लाल बहादुर शास्त्री जी
को सारी स्थिती के बारे में बताया और आदेश की प्रतीक्षा करने लगे, तब ही लाल बहादुर शास्त्री जी ने अपने जवाब के
तौर पर कहा की “आप हमारे भारत
देश की रक्षा कीजिये और आप मुझे बताइए कि अब आगे हमें क्या करना है?” और इस तरह भारत-पाक युद्ध के दौरान शास्त्री जी
ने “जय-जवान जय-किसान”
का नारा भी दिया था | और भारत ने पाकिस्तान की सेना को हरा दिया |
लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु कैसे हुई ?
1978 में ‘ललिता के आंसू ’ नामक एक पुस्तक में इनकी पत्नी ने लाल बहादुर शास्त्री जी
की मृत्यु की पूरी कथा कही है | कुलदीप नैयर जो
की लाल बहादुर शास्त्री जी के साथ ताशकंद गए थे, उन्होंने भी कई महत्वपूर्ण तथ्यों को उजागर किया लेकिन कोई
सही परिणाम नहीं निकले | 2012 में लाल बहादुर
शास्त्री जी के पुत्र सुनील शास्त्री ने भी न्याय की मांग की थी पर इससे कुछ नहीं
हुआ |