गुरु नानक देव जी की जीवनी | Guru Nanak Biography in Hindi
नमस्कार दोस्तों ! आज की इस पोस्ट में हम आपको गुरु नानक जी के जीवन परिचय के बारे में बताने वाले है | वैसे तो गुरु नानक जी को हम सब जानते है पर उनके जीवन की ऐसी भी कुछ बाते है जिन्हे हम लोग नहीं जानते | आज हम आपको वो सारी चीज़े बताएँगे | तो चलिए शुरू करते है |
गुरु नानक जी के
जीवन से एक सच्चे गुरु की सीख मिलती है, जो सभी मानवो को दिशा दिखाते हैं वरना तो वर्तमान ने गुरुओं की परिभाषा को ही
बदल दिया है |
गुरु नानक सिक्ख
समाज के संस्थापक कहलाते हैं | उनके जन्मदिन को
गुरु नानक जयंती के रूप में सिक्ख समाज बड़े उत्साह से मनाता हैं | यह पर्व पाकिस्तान देश में भी बड़े उत्साह के
साथ मनाया जाता हैं | गुरुनानक का जन्म
स्थान वर्तमान पाकिस्तान में हैं | वैसे तो लोग
उन्हें सिक्ख समाज के गुरु कहते हैं, लेकिन इन्होने कभी भी किसी को धर्म जाति ने बांध कर नहीं रखा था | गुरु नानक इसके सख्त खिलाफ थे | गुरु नानक का मनाना था, भगवान कण- कण में विद्यमान हैं | जहाँ भी हाथ रखोगे वहीँ ईश्वर मिलेंगे |
गुरु नानक जयंती
के दिन पुरे देश में छुट्टी रहती हैं | 2014 के बाद से पाकिस्तान देश में भी यह छुट्टी दी जाने लगी |
गुरु नानक जयंती 2021 में कब हैं? (Guru Nanak Jayanti Date)
गुरु नानक जयंती
कार्तिक माह की पूर्णिमा को बड़े उल्लास के साथ पुरे भारत देश में मनाई जाती हैं |
जयंती के दिन प्रभात फेरी भी निकाली जाती हैं |
आपको बता दे गुरु नानक जी के जन्मदिवस यानि
गुरु नानक जयंती का उत्सव कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाता हैं | सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की गुरु नानक जयंती
घर में एक परिवार के साथ नहीं बल्कि पुरे समाज के साथ हर्षोल्लास से मनाई जाती हैं
|
2021 में गुरुनानक जयंती
19 नवंबर को मनाई जाएगी |
गुरु नानक के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी :
जन्म | 15 अप्रैल 1469 |
पूण्यतिथि | कार्तिकी पूर्णिमा |
जन्मस्थान | तलवंडी ननकाना पाकिस्तान |
मृत्यु | 22 सितंबर 1539 |
मृत्यु स्थान | करतारपुर |
स्मारक समाधी | करतारपुर |
पिता | कल्यानचंद मेहता |
माता | तृप्ता देवी |
पत्नी | सुलक्खनी गुरदास पुर की रहवासी |
शादी | 1487 |
बच्चे | श्रीचंद, लक्ष्मीदास |
बहन | बहन बेबे नानकी |
प्रसिद्धी | प्रथम सिक्ख गुरु |
रचनायें | गुरु ग्रन्थ साहेब, गुरबाणी |
गुरु | गुरु अंगद |
शिष्य | 4 – मरदाना, लहना, बाला एवं रामदास |
गुरु नानक स्वभाव
से बहुत ही दयालु और कोमल थे | सांसारिक गतिविधियों में गुरु नानक की रूचि
अधिक नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपना घर भी छोड़ दिया था | गुरु नानक ने पर्यटन करते हुए देश भ्रमण किया और अपने विचारों को दुनियाँ के
सामने प्रस्तुत किया | उस वक्त गुरु नानक की विचार धारा में एक नयी
सोच का जन्म हुआ था | गुरु नानक मूर्ति पूजा विरोधी थे |
गुरु नानक ने
भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कई जगहों पर जाकर मानव जाति का
परिचय ईश्वर से करवाया | गुरु नानक ने सदेव एकता और समरूपता का ज्ञान
दिया था | गुरु नानक की एक कथा सदैव याद रखी जाती हैं :
आपके लिए एक महत्वपूर्ण पुस्तक
गुरु नानक देव की कहानी (Guru Nanak Story):-
भ्रमण के समय जब
गुरु नानक मक्का पहुँचे, तब वे वहा कुछ देर आराम करने के लिए रुक गए और
एक पेड़ की शीतल छाया के नीचे सो गये | जब गुरु देव की निंद्रा
टूटी, उस समय कई लोग गुरु नानक के चारों और खड़े थे | उन लोगो ने गुरु नानक देव जी से पूछा की आप अपना परिचय दीजिये और आपने अपने
पैर काबा की तरफ क्यों करे हुए है ?
आप तुरंत यहाँ से अपने
पैर हटाइये | इसके उत्तर में गुरु नानक देव जी ने बहुत ही
आराम से कहा की जिस और काबा ना हो,
उस और आप मेरे पैर घुमा
दीजिये | तब उन लोगो ने गुरु नानक के पैर घुमा दिये, परन्तु वे जिस तरफ गुरु नानक के पैर घुमाते उसी तरफ काबा दिखाई देने लग जाता | जितनी बार भी वो लोग गुरु नानक के पैर हटाते उन लोगो को हर स्थान पर काबा ही
दिख रहा था | इस पर गुरु नानक ने कहा की – पुत्र इस दुनिया के हर कोने में खुदा या ईश्वर का वास है | तुम जहाँ भी देखोगे वही खुदा या ईश्वर हैं | इस प्रकार गुरु नानक देव
की ख्याति दूर दूर तक फैलने लगी थी |
गुरु नानक देव जी के समय दिल्ली का सुल्तान इब्राहीम लोदी था | वो तानाशाही राजा था | हिन्दू मुस्लिम के बीच धर्म के नाम पर लड़ाई करवाता था | इस पर गुरु नानक देव जी भी सभी को एक राह दिखाते थे और कहते थे ईश्वर पहनावे और धार्मिक कार्यो से प्रभावित नहीं होता, अपितु ईश्वर तो मन की शुद्धता देखता हैं | गुरु नानक के इस विचारों के कारण उन्हें जेल भी भेजा गया, किन्तु इब्राहीम लोदी को हार का सामना करना पड़ा था और बाबर ने भारत में दस्तक दी | बाबर दिल्ली का एक अच्छा मुग़ल शासक माना जाता हैं | शायद यही कारण है की उसने गुरु नानक देव को रिहा कर दिया|
निष्कर्ष (Conclusion)
गुरु नानक हमेशा कहते थे कि इस दुनिया से पार जाने के लिए सदैव एक योग्य गुरु की आवश्यकता होती हैं | एक योग्य गुरु के बिना किसी को भी राह नहीं मिलती |
गुरु नानक देव जी सिक्ख समाज के पहले गुरु थे, लेकिन गुरु नानक ने अपने सम्पूर्ण जीवन में कभी भी जातिवाद को नहीं अपनाया था | उन्होंने हमेशा यही कहा की ईश्वर एक हैं और उसी एक ईश्वर के ही अनेक रूप है | ईश्वर को पाने के लिए मन के अंदर की शुद्धता की जरुरत होती हैं |
गुरु नानक देव जी
के इस छोटे से जीवन परिचय से हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि वास्तव में गुरु कौन
होता हैं ? क्या आज के समय में भी एक गुरु की परिभाषा यही
हैं ? इसका उत्तर आप हमें कमेंट में जरूर दीजियेगा |
👍👍
ReplyDeleteGood job 👍
ReplyDelete