सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी | Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani

 सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवन परिचय 

Sardar Vallabhbhai Patel Biography in Hindi


नमस्कार दोस्तों ! आज की इस पोस्ट में हम आपको भारत के लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी के बारे में बताने वाले है | वैसे तो सरदार पटेल को हम सब जानते है पर उनके जीवन की ऐसी भी कुछ बाते है जिन्हे हम लोग नहीं जानते | आज हम आपको वो सारी चीज़े बताएँगे | तो चलिए शुरू करते है |

 

Biography of Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi



सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय 

(Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi)

 

सरदार पटेल ने ही भारत को टूटने से बचाया था | उन्होंने गुलामी की जंजीरो में जकड़े हुए भारत को आजाद करवाने में एक अहम् भूमिका निभाई थी | वल्लभभाई पटेल को एक शूरवीर कहना भी गलत नहीं होगा | तो सबसे पहले ऐसे शूरवीर को नमन करते है |

 

सरदार पटेल से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी निम्न है –



वल्लभभाई पटेल का प्रारम्भिक जीवन, जन्म, आयु, परिवार, मृत्यु

(Sardar Vallabhbhai Patel age, death, wife, family, education)

सरदार वल्लभभाई पटेल एक किसान परिवार से थे | जैसा की आपने ऊपर पढ़ा की इनके तीन भाई थे | इन्होने अपने जीवन में खुद के लिए कुछ लक्ष्य बना रखे थे | जैसे की वे पढ़ना चाहते थे और नौकरी करके इंग्लैंड जाना चाहते थे और वह अपनी आगे की पढाई करना चाहते थे | किन्तु ऐसा करने में भी इनको बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा था जैसे ख़राब आर्थिक स्थिति, परिवार की जिम्मेदारिया | पर इन सबके बावजूद भी ये अपने लक्ष्य की तरफ धीरे-धीरे बढ़ने लगे | इन्होने अपनी मैट्रिक की पढाई 22 वर्ष की आयु तक पूरी कर ली थी | और कई वर्षो तक अपने घर और घरवालों से दूर रहकर इन्होने अपनी वकालत की पढाई पूरी की थी और इस बीच उन्होंने नौकरी भी की थी और अपने परिवार का भरण पोषण भी कर रहे थे | एक आम व्यक्ति की तरह ही सरदार पटेल भी जिंदगी की मुश्किलों से लड़ते हुए आगे बढ़ रहे थे पर वे यह नहीं जानते थे की भविष्य में यही भारत के लौह पुरुष बनेंगे |

अब हम आपको एक बात बताते है जिससे आप सरदार पटेल की कर्तव्यनिष्ठा का पता लगा सकते है  | यह घटना है जब सरदार पटेल की पत्नी को मुंबई हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था | वे कैंसर से पीड़ित थी और इसी बीच उनकी मृत्यु हो गयी | तब लोगो ने उन्हें दूसरा विवाह करने की सलाह दी पर उन्होंने दूसरा विवाह नहीं किया और अपने बच्चो के भरण पोषण के लिए मेहनत करने लग गए | उन्होंने इंग्लैंड जाकर पढाई की और जो कोर्स तीन साल का था उससे ढाई साल में समाप्त करके वापस अहमदाबाद आ गए | वे अपने कॉलेज के टोपर भी थे | फिर अहमदाबाद में वे एक सफल और प्रसिद्द बैरिस्टर के रूप में काम करने लगे | जैसा की हमने आपको बताया की वे इंग्लैंड से अपनी पढाई पूरी करके आये थे तो इनका पहनावा, रहन-सहन और चाल ढाल भी बदल गए | ये यूरोपीय स्टाइल में रहने लगे | इनका सपना था की ये बहुत पैसा कमाए और अपने बच्चो को एक उज्जवल भविष्य दे | पर नियति को मंजूर नहीं था उन्होंने सरदार पटेल के लिए कुछ और ही सोच रखा था | वे गाँधी जी के विचारो से प्रेरित हो गए और समाज की बुराइयों के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे  | उन्हें राजनीती में रुचि नहीं थी पर फिर भी वे इसका हिस्सा बनने लगे |

 

 

स्वतंत्रता संग्राम में वल्लभभाई पटेल का योगदान 

(Sardar Vallabhbhai Patel As A Freedom Fighter)

 

सरदार पटेल द्वारा स्थानीय कार्य - जैसा की हम सब जानते है की सरदार पटेल गुजरात के निवासी थे तो उन्होंने सबसे वही से ही शराब, छुआछूत, और नारियो पर भड़ते अत्याचारों को काम करने का प्रयास किया |

खेड़ा आंदोलन में सरदार पटेल का योगदान - यह बात है 1917 की जब गांधीजी ने सरदार पटेल को कहा था की वे खेड़ा के किसानो को इकट्ठा करे और उन्हें अंग्रेजी  शाशन के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित करे क्योकि उस समय भारत की आय का सबसे बड़ा स्त्रोत था खेती या कृषि | पर खेती भी मोसम पर निर्भर थी | उस समय साडी फसल ख़राब हो गयी थी पर फिर भी अंग्रेजी साशन विधिवत कर वसूलता था | फिर सरदार पटेल ने सब को इकट्ठा किया और आवाज़ उठाई | अंग्रेजी  शाशन को फिर उनकी बात माननी पड़ी  | यह सरदार पटेल की पहली बड़ी जीत थी |

 

वल्लभभाई पटेल को कैसे मिला सरदार पटेल नाम

(बारडोली सत्याग्रह)

इस महान नेता ने बारडोली के सत्याग्रह आंदोलन का नेत्तृत्व किया था | आपको बता दे की यह आंदोलन में साईमन कमिशन के खिलाफ किया गया था | इसमें किसानो की एकता देख कर ब्रिटिश वाइसराय को झुकना पड़ा और इस आंदोलन के वल्लभभाई पटेल का नाम भारत में प्रसिद्द हो गया | इस आंदोलन के बाद बारडोली के निवासी इन्हे सरदार के नाम से जानने लगे और इन्हे सरदार पटेल के नाम से प्रसिद्धि मिलने लगी |

 

आजादी के पहले एवम बाद में सरदार पटेल के अहम् पद

 

जैसा की हमने ऊपर पढ़ा है की सरदार पटेल की लोकप्रियता भड़ती ही जा रही थी और इसी कारण उन्होंने लगातार चुनाव भी जीते | सरदार पटेल अहमदाबाद नगर निगम के अध्यक्ष भी बने | 1920 के करीब सरदार पटेल ने कांग्रेस को ज्वाइन कर लिया था | 1932 में इन्हे कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया | महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल - ये तीनो कांग्रेस की एक महत्वपूर्ण कड़ी थी | भारत की आजादी के बाद उन्हें देश के गृहमंत्री एवं उपप्रधानमंत्री के रूप में चुना गया | वैसे सरदार वल्लभभाई पटेल प्रधानमंत्री के प्रथम दावेदार थे उन्हें कांग्रेस पार्टी के सर्वाधिक वोट मिलने के पुरे आसार थे लेकिन महात्मा गाँधी के कारण वे स्वयं को इस दौड़ से बहार हो गए |

 

आपके लिए एक महत्वपूर्ण पुस्तक



भारत की आजादी के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा किया गया अहम् कार्य 

(Sardar Vallabhbhai Patel Rashtriya Ekikaran Mein Yogdan)

15 अगस्त 1947 के दिन हमारा भारत देश आजाद हो गया था, आजादी के बाद हमारे देश की हालत बहुत गंभीर थी | पाकिस्तान के भारत से अलग होने के कारण कई लोग बेघर हो चुके थे | उस वक्त भारत में देसी रियासते होती थी, हर एक राज्य एक स्वतंत्र देश की तरह था, जिन्हें भारत में मिलाना बहुत जरुरी हो गया था | यह कार्य अत्यधिक कठिन था | कई वर्षो की गुलामी के बाद भारत की देसी रियासतों का कोई भी राजा अब किसी भी तरह की आधीनता के लिए तैयार नहीं था, लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल पर सभी को पूरा विसवास था, उन्होंने ही देसी रियासतों को राष्ट्रीय एकीकरण के लिए मजबूर किया और बिना किसी युद्ध के देसी रियासतों को भारत देश में मिलाया | जम्मू कश्मीर, हैदराबाद एवं जूनागढ़ रियासतों के राजा इस समझौते के लिए तैयार नहीं थे | इनके खिलाफ सरदार पटेल को सैन्यबल का उपयोग करना पड़ा और आखिकार ये रियासते को भी भारत में आकर मिलना पड़ा | इस प्रकार सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयासो के कारण बिना रक्त बहे 560 रियासते भारत में आ मिली | देसी रियासतों को भारत में मिलाने का यह कार्य 1947 में आजादी के महज कुछ महीनो में ही पूरा कर दिया गया | महात्मा गाँधी ने पुरे विश्वास के साथ कहा कि यह कार्य केवल सरदार वल्लभभाई पटेल ही कर सकते थे | भारत के इतिहास से लेकर आज तक इन जैसा व्यक्ति पुरे विश्व में नहीं हुआ, जिसने बिना हिंसा के या बिना रक्त बहाये देश के एकीकरण का एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया हो | उन दिनों इनकी इस सफलता के चर्चे पूरी दुनियाभर के समाचार पत्रों में होने लगे थे |

कई लोगो का मानना है की अगर सरदार पटेल प्रधानमंत्री होते, तो आज पाकिस्तान, चीन जैसी समस्या इतना विकराल रूप नहीं ले पाती | सरदार पटेल की सोच इतनी परिपक्व थी कि वे पत्र में लिखी भाषा को पढ़कर ही सामने वाले के मन में क्या चल रहा है वो समझ जाते थे | उन्होंने कई बार भारत के प्रधानमंत्री नेहरु जी को चीन के संकट के लिए सतर्क किया था, लेकिन नेहरु जी ने इनकी बात कभी नहीं मानी और इसके परिणाम स्वरुप भारत और चीन का युद्ध हुआ था |

 

वल्लभभाई पटेल की मृत्यु 

(Sardar Vallabhbhai Patel Death Anniversary):

 

1948 में गाँधी जी की मृत्यु हो जाने के बाद पटेल को इस बात का गहरा सदमा लगा और उन्हें कुछ महीनो बाद ही हार्ट अटैक आ गया, जिससे वे कभी उभर नहीं पाए और 15 दिसम्बर 1950 को उनका देहांत हो गया |

 

सरदार वल्लभभाई पटेल पर कविता  

(Sardar Vallabhbhai Patel Poem)



 

FAQ’s About Sardar Patel ( सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रश्न उत्तर )

 

1. सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती कब मनाई जाती है?

Ans. 31 अक्टूबर को |

 

2. सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु कब हुई थी?

Ans. 15 December 1950 को |

 

3. सरदार वल्लभ भाई पटेल का पूरा नाम क्या था?

Ans. वल्लभभाई झवेर भाई पटेल |

 

4.सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म कहां हुआ था ?

Ans. नाडियाड में |

 

5. सरदार पटेल की मूर्ति का नाम क्या है ?

Ans. स्टेचू ऑफ़ यूनिटी |

 


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