रतन टाटा की जीवनी | Biography of Ratan Tata in Hindi

 रतन टाटा का जीवन परिचय | Ratan Tata Biography in Hindi


रतन टाटा इस संसार की सबसे छोटी गाडी बनाने के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्द हैं। रतन नवल टाटा ने अपनी चतुराई और कुशलता के दम पर टाटा ग्रुप को एक नए आयाम तक पहुंचा दिया है। रतन जी ने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष के रूप में भी टाटा ग्रुप का नाम पुरे विश्व भर में प्रसिद्द किया है।


रतन नवल टाटा भारत के एक महान बिजनेसमैन होने के साथ ही एक अच्छे इंसान भी हैं, जो अपने उदारवादी हृदय के लिए भी जाने जाते हैं। रतन टाटा हमेशा असहाय, गरीबों, मजदूरों, पीढ़ितों और जरुरतमंदों की मदद करने के लिए सबसे आगे रहते हैं।


हाल ही में आयी एक बड़ी महामारी कोरोनावायरस जिसे COVID–19 के नाम से भी जाना जाता है उससे संक्रमित व्यक्तियों की सहायता के लिए भी रतन जी ने बड़ी धन राशि दान की है। रतन टाटा दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक है, तो चलिए इस लेख में जानते हैं महान बिजनेसमैन रतन टाटा के जीवन और उनकी सफलता से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें–

Biography of Ratan Tata in Hindi


रतन टाटा का जीवन परिचय – Ratan Tata Biography in Hindi


पूरा नाम (Name)रतन नवल टाटा
जन्म (Birthday) 28 दिसंबर, 1937, सूरत, गुजरात
पिता (Father Name) नवल टाटा
माता (Mother Name)सोनू टाटा, सिमोन टाटा (सौतेली मां)
शैक्षणिक योग्यता (Education)बी.एस. डिग्री संरनात्मक इंजीनियरिंग के साथ वास्तुकला में उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम
पुरस्कार (Awards) पदम भूषण, पदम विभूषण


रतन टाटा का जन्म, बचपन, प्रारंभिक जीवन एवं परिवार – Ratan Tata History in Hindi


रतन टाटा का जन्म गुजरात के सूरत शहर में 28 दिसंबर, 1937 को एक उद्योगपति घराने में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा और माता का नाम सोनू नवल टाटा था। रतन टाटा के माता-पिता के तलाक हो जाने के बाद उनका पूरा पालन-पोषण उनकी दादी माँ नवाजबाई टाटा ने किया था। इनके पिता ने सिमोन टाटा से दूसरा विवाह कर लिया था।


रतन जी का नोएल टाटा नाम का एक सौतेला भाई भी हैं। इन्होने अपनी बचपन की पढ़ाई मुंबई के कैंपियन स्कूल में रहकर पूरी की। इसके बाद रतन टाटा ने मुंबई के ही कैथेड्रल और जॉन स्कूल में स्कूल में रहकर अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की थी।


1962 में रतन जी अमेरिका चले गए जहां उन्होंने न्यूयॉर्क के इथाका के कॉर्निल यूनिवर्सिटी से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के साथ-साथ वास्तुकला में अपनी बीएस की डिग्री हासिल की और फिर वे अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में मैनेजमेंट प्रोग्राम्स की पढ़ाई के लिए चले गए।


रतन टाटा का शुरुआती करियर – Ratan Tata Career


रतन जी ने अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद कुछ समय तक लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया, में जोन्स और एमोंस में काम किया और उसके बाद IMB में भी नौकरी की थी। वर्ष 1961 में श्रीमान रतन टाटा अपने खानदानी टाटा ग्रुप से जुड़े।


भारत के सबसे बड़े ग्रुप टाटा ग्रुप का हिस्सा बनने के बाद श्रीमान रतन टाटा ने अपने शुरुआती दौर में टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम किया यही नहीं इसके साथ ही टाटा स्टील को और बढ़ाने के लिए उन्हें जमशेदपुर भी जाना पड़ा था। इसी के बाद ही श्री रतन टाटा को टाटा ग्रुप की कई और कंपनियों का हिस्सा बनने का मौका मिला।


रतन टाटा की सफलता की कहानी– Ratan Tata Success Story


श्रीमान रतन टाटा को 1971 में नेशनल रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (नेल्को) में प्रभारी निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया। जिस समय रतन जी इस कंपनी के प्रभारी निदेशक बने उस समय इस कंपनी की आर्थिक हालत बेहद खराब थी। जिसके बाद श्रीमान रतन टाटा ने अपना बिजनेसमैन वाला दिमाग लगाया और अपनी काबिलियत के दम पर NELCO कंपनी को ना सिर्फ नुकसान से उभारा बल्कि इस कंपनी की हिस्सेदारी को 20 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था।


हालांकि, जब इंदिरा गांधी की सरकार ने भारत में आपातकाल जारी कर दिया था | उस समय आर्थिक मंदी के कारण कंपनी को काफी परेशानीयो का सामना करना पड़ा था। बस इतना ही नहीं 1977 में रतन टाटा को यूनियन की हड़ताल का सामना किया था | जिसकी वजह से बाद में नेल्को कंपनी को बंद करना पड़ा था।


इस कंपनी के बंद हो जाने के मात्र कुछ माह बाद ही रतन जी को एक कपड़ा मिल जिसका नाम था इम्प्रेस मिल्स (Empress Mills) की जिम्मेंदारी दी गई। उस समय टाटा ग्रुप की यह कंपनी भी बहुत मंदी और नुक्सान से गुजर रही थी। जिसके बाद रतन जी ने इस कंपनी को संभालने की बहुत कोशिश की और इसके आधुनिकीकरण के लिए निवेश करने का अनुग्रह किया, लेकिन निवेश पूरी तरह से नहीं हो सका और उस समय बाजार में भी मोटे और मध्यम सूती कपड़े की मांग नहीं थी और इसी कारण इस कंपनी को भी नुकसान का सामना करना पड़ा था।


फिर कुछ टाइम बाद इस कंपनी को भी बंद कर दिया गया। लेकिन श्रीमान रतन टाटा अपने ग्रुप के इस फैसले से बिलकुल भी संतुष्ट नहीं थे। इसके कुछ दिनों बाद ही जेआरडी टाटा ने, 1981 में रतन जी की काबिलियत और कुशलता को देखकर उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज या ग्रुप के उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा की।


श्रीमान रतन टाटा की अध्यक्षता में टाटा ग्रुप ने अपने कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पुरे किए और भारत में ही नही बल्कि पुरे विश्व में भी टाटा ग्रुप को एक नई पहचान दिलवाई। रतन जी के कुशल अध्यक्षता में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने पब्लिक इशू जारी किया और टाटा मोटर्स को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया।


दुनिया की सबसे सस्ती कार-नैनो कार की शुरुआत – Smallest Car In India (Tata Nano)


श्रीमान रतन टाटा ने दुनिया की सबसे सस्ती कार बनाकर उन माद्यम वर्गीय लोगों के बारे में सोचा, जिनके लिए गाडी खरीदना किसी बड़े सपने से कम नहीं था। रतन जी ने केवल 1 लाख रुपए की लागत में दुनिया की सबसे सस्ती कार, नैनो बना दी। सबसे पहले नैनो के तीन मॉडल्स को बाजार में उतारा गया।


आपको बता दें कि  28 दिसंबर 2012 को श्रीमान रतन टाटा, टाटा ग्रुप की सभी कार्यकारी जिम्मेंदारी से रिटायर्ड हो गए। इसके बाद साइरस मिस्त्री को अध्यक्ष बनाया गया। रतन टाटा अपने रिटायरमेंट के बाद भी काम कर रहे हैं।


वर्तमान में रतन जी टाटा ग्रुप के चैरिटेबल संस्थानों के अध्यक्ष हैं। रतन टाटा एक दयालु एवं दरियादिल इंसान हैं, जिनके 65 प्रतिशत से ज्यादा शेयर चैरिटेबल संस्थाओ में निवेश किए गए है।


रतन जी के जीवन का मुख्य उद्देश्य भारत वासियो के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है और साथ ही भारत में इंसानियत का विकास करना है। श्रीमान रतन जी का मानना यह है की दान करने वालो को अलग नजरिए से देखा जाना चाहिए। पहले दानवीर लोग अपनी संस्थाओ और अस्पतालों का विकास करते थे जबकि अब उन्हें सबसे पहले अपने देश भारत का विकास करने की जरुरत है।


रतन टाटा के विचार - Thoughts of Ratan Tata





धन्यवाद


भारत की शान रतन टाटा के जीवन परिचय की महत्वपूर्ण जानकारी आपको कैसी लगी, हमें कमेंट में जरुर बताएं | और अगर आपके पास भी रतन टाटा से जुड़ी कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी है जो हमने इस पोस्ट में नहीं लिखी है तो आप हमें joshianshuman66@gmail.com पर मेल कर सकते हैं | हम रतन टाटा की इस जीवनी में आपके द्वारा दी गई जानकारी को साझा करने की पूरी कोशिश करेंगे |

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