रानी लक्ष्मी बाई ( मणिकर्णिका ) का जीवन परिचय | Biography of Rani Lakshmi Bai in Hindi

 झांसी की रानी की जीवनी | रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी | Biography of Rani Lakshmi Bai


नमस्कार दोस्तों ! हमारे भारत की स्वतंत्रता के लिए अनेक वीरो ने लड़ाइयाँ लड़ी और इस प्रयास में  हमारे भारत की  वीर और साहसी  स्त्रिया भी शामिल है | झांसी की रानी रानी लक्ष्मीबाई या मणिकर्णिका ने हमारे भारत और अपने झाँसी की आज़ादी के लिए अंग्रेज़ो के खिलाफ लड़ने की वीरता दिखाई और अंत में वीरगति को भी प्राप्त हुई |

Biography of Rani Lakshmi Bai in Hindi



रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय


नाम                         मणिकर्णिका
जन्म                       सन  1828
मृत्यु                         सन  1858  [ 29  वर्ष की आयु में]
पिता                         मोरोपंत  ताम्बे
माता                       भागीरथी  बाई
पति                          महाराज  गंगाधर  रावनेवलेकर
संतान                      दामोदर  राव,  आनंद  राव [ दत्तक  पुत्र ]
घराना                     मराठा  साम्राज्य
उल्लेखनीय  कार्य 1857  की क्रांति में योगदान


झाँसी की रानी का जीवन परिचय :


झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्म महाराष्ट्र के ब्राह्मण परिवार में 1828 में हुआ | उनके पिता ( मोरोपंत ताम्बे ) बिठुर के न्यायलय में पेशवा थे और यही कारण है की रानी लक्ष्मीबाई इस काम से प्रेरित थी और वे अन्य लड़कियों की तुलना में अधिक स्वतंत्र भी थी | रानी लक्ष्मीबाई की शिक्षा में पढाई के साथ आत्म–रक्षा,  घुड़सवारी, निशानेबाजी और घेराबंदी का अभ्यास भी शामिल था | रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी खुद की सेना भी तैयार कर रखी थी | मणिकर्णिका की माता एक गृहणी थी | रानी लक्ष्मीबाई का नाम बाल्यकाल में मणिकर्णिका रखा गया | उनके परिवार के सभी सदस्य उन्हें प्यार से ‘मनु’ नाम से पुकारते थे | जब रानी लक्ष्मीबाई मात्र 4 वर्ष की थी, तभी उनकी माँ इस संसार को छोड़ कर चली गयी और उनके पालन - पोषण की पूरी जिम्मेदारी उनके पिता के ऊपर आ गयी |


लक्ष्मीबाई में अनेक विशेषताएं थी, जिनमे से कुछ निम्न है :


  • रानी लक्ष्मीबाई नियमित योगाभ्यास करती थी |

  • रानी लक्ष्मीबाई को धार्मिक कार्य करना अच्छा लगता था |

  • रानी लक्ष्मीबाई सैन्य कार्यों में रूचि रखती थी एवं वे इसमें निपुण थी |

  • रानी लक्ष्मीबाई को घोड़ो की अच्छी परख थी |

  • रानी लक्ष्मीबाई अपनी का प्रजा का अपनी संतान की तरह ध्यान रखती थी |

  • रानी लक्ष्मीबाई अपराधियों को सही दंड देने का भी साहस रखती थी |


रानी लक्ष्मी बाई की शादी (Rani laxmi bai marriage) –


रानी लक्ष्मी बाई का विवाह 1842 में उत्तर भारत के झाँसी के महाराजा श्री गंगाधर राव नेवलेकर के साथ संपन्न हुआ, तभी से रानी लक्ष्मी बाई झाँसी की रानी बन गयी | उस समय उनकी आयु मात्र 14 वर्ष की थी | शादी के बाद ही ‘लक्ष्मीबाई’ नाम मिला ( पहले मणिकर्णिका था ) |1851 में रानी लक्ष्मी बाई को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई, जिसका नाम उन्होंने दामोदर राव रखा, परन्तु दुर्भाग्य से दामोदर राव केवल 4 माह ही जीवित रह सका |

बहुत से लोगो का मानना हैं कि महाराज अपने पुत्र की मृत्यु के आघात से कभी नहीं उभर पाए और 1853 में महाराज गंगाधर राव बहुत ज्यादा बीमार हो गये, तब रानी लक्ष्मी बाई और महाराज गंगाधर राव दोनों ने मिलकर अपने रिश्तेदार [ महाराज के भाई ] के पुत्र को गोद लेने का निश्चय किया | गोद लिए हुए पुत्र के उत्तराधिकारी बनने पर अंग्रेजी सरकार को किसी भी तरह की परेशानी न हो, इस कारण यह पूरा काम अंग्रेज अफसरों की उपस्थिति में ही पूरा किया गया था | इस गोद लिए हुए पुत्र का नाम पहले आनंद राव था, जिसे बदलकर दामोदर राव ( रानी लक्ष्मी बाई के पहले बेटे का नाम ) रखा  गया |


रानी लक्ष्मी बाई का उत्तराधिकारी बनना –


21 नवम्बर 1853 को महाराज गंगाधर राव नेवलेकर इस संसार को छोड़कर चले गए, उस समय रानी लक्ष्मी बाई की उम्र मात्र 18 थी | लेकिन लक्ष्मी बाई ने कभी भी अपना धैर्य, शौर्य और साहस को नहीं खोया और अपने पुत्र दामोदर राव ( आनंद राव ) की उम्र कम होने की वजह से राज–काज की पूरी जिम्मेदारी रानी लक्ष्मी बाई ने अपने कंधो पर ले लिया | उस समय का गवर्नर लार्ड डलहौजी  था |

उस समय लार्ड डलहौजी ने यह नियम बनाया था कि शासन पर उत्तराधिकार एक ही शर्त पर होगा, जब उत्तराधिकारी राजा का खुद का बैटा हो, यदि कोई बेटा न हो तो वह पूरा राज्य अंग्रेज़ो को मिल जाएगा और राज परिवार को अपने खर्चों के लिए पेंशन दी जाएगी | लार्ड डलहौजी ने राजा की मृत्यु का लाभ उठाने का प्रयास किया | वह झाँसी राज्य को भी अपने राज्य में मिलाना चाहता था | उसका कहना था कि गंगाधर राव और लक्ष्मीबाई का अपना कोई पुत्र नहीं हैं और उसने गोद लिए हुए पुत्र को उत्तराधिकारी मानने से मना कर दिया था | उसके बाद लक्ष्मी बाई ने लन्दन में अंग्रेजी सरकार के खिलाफ याचिका दायर कि पर लंदन में उनकी याचिका ख़ारिज कर दि गयी | यही नहीं उन्हें लंदन में यह आदेश भी दिया गया की रानी लक्ष्मी बाई, झाँसी के किले को खाली कर दे और खुद जाकर रानी महल में रहें, यह करने के लिए झांसी की रानी लक्ष्मी बाई को 60,000/-  रूपये की पेंशन दी जाएगी | लेकिन झांसी की रानी अपने निर्णय पर टीकी हुई थी |


झांसी की रानी के संघर्ष  की  शुरुआत :


मेरी झाँसी नहीं दूंगी : 7  मार्च, 1854 को अंग्रेजी सरकार ने एक गजट जारी किया था, जिसके हिसाब से झाँसी को ब्रिटिश राज्य में मिलाने का आदेश दिया गया था | रानी ने ब्रिटिश अफसर एलिस को कहा की ‘ मेरी झाँसी नहीं दूंगी’ और  तब झाँसी विद्रोह का केन्द्र बिंदु बन गया था | रानी ने कई राज्यों से मदद ली और एक सेना तैयार की, जिसमे केवल पुरुष ही नहीं थे, बल्कि औरते भी थी;  जिन्हें युद्ध का प्रशिक्षण दिया गया था | उनकी सेना में बहुत महारथी भी थे, जैसे :  गुलाम खान, दोस्त खान, खुदा बक्श, सुन्दर–मुन्दर, काशी बाई, लाला भाऊ बक्शी, मोतीबाई, दीवान रघुनाथ सिंह, दीवान जवाहर सिंह, आदि | उनकी  सेना  में  लगभग  14,000  सैनिक  थे |


रानी लक्ष्मी बाई की मृत्यु  (Rani laxmi bai death) :


17 जून, 1858 में किंग्स रॉयल आयरिश के विरुद्ध एक युद्ध में लड़ते समय रानी लक्ष्मी बाई ने ग्वालियर के पूर्व क्षेत्र की अध्यक्षता की | इस युद्ध में झांसी की रानी अपने ‘राजरतन’ नामक प्रिय घोड़े पर सवार नहीं थी बल्कि एक नए घोड़े पर सवार थी, जो नहर के उस पार कूदने में असमर्थ था, झांसी की रानी घोड़े की इस स्थिति को समझ गयी और बड़ी ही वीरता के साथ वही युद्ध करती रही | इस समय तक रानी बहुत बुरी तरह से घायल हो चुकी थी और वे घोड़े से गिर गयी |क्योकि झांसी की रानी पुरुषो की पोषाक में थी, इसलिए ब्रिटिश सैनिक रानी को पहचान नही पाए और रानी को छोड़ दिया | तब झांसी की रानी के एक विश्वास पात्र सैनिक ने उन्हें पास के गंगादास मठ में ले गये और रानी को गंगाजल पिलाया | तब झांसी की वीर रानी ने अपनी आखिरी इच्छा बताई की “कोई भी विदेशी अफसर उनके मृत शरीर को हाथ न लगाए ” | इस तरह कोटा की सराई के पास ग्वालियर के फूलबाग क्षेत्र में झांसी की वीर और साहसी रानी को वीरगति प्राप्त हुई |


रानी लक्ष्मी बाई पर कविता का कुछ अंश:




रानी लक्ष्मीबाई से जुड़े प्रश्न (FAQs Related to Rani Lakshmi Bai)


1. झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की मौत कैसे हुई?

Ans. अंग्रेज़ो से युद्ध करते हुए |

2. रानी लक्ष्मी बाई के घोड़े का नाम क्या था?

Ans. राजरतन |

3. रानी लक्ष्मी बाई का जीवन कैसे बीता?

Ans. उनका जीवन संघर्ष में बीता |

4. गंगाधर राव की कितनी पत्नी थी?

Ans. दो |

5. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की अंतिम युद्ध से संबंधित प्रदेश कौन सा है?

Ans. झांसी |

6. झाँसी के राजा की मृत्यु के बाद कौन सबसे ज्यादा खुश था ?

Ans. लॉर्ड डलहौजी |

7. गंगाधर राव लक्ष्मीबाई के कौन थे?

Ans. पति |

8. झांसी की रानी का जन्म कब और कहां?

Ans. लक्ष्मीबाई का जन्म महाराष्ट्र के ब्राह्मण परिवार में 1828 में हुआ |

9. रानी लक्ष्मीबाई की तलवार कितने किलो की थी?

Ans. लगभग 35 किलो |

10. झांसी के राज्य को कौन हड़पना चाहता था?

Ans. लॉर्ड डलहौजी |

धन्यवाद


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